घर पर जुमा की नमाज पढ़ने का तरीका

जुमा के दिन 12 रेेकात जोहर के साथ 2 रेकात नमाज ए जुमा फर्ज भी पढ़ा जाता है। सबसे पहले 4 रेेकात सुन्नत जोहर की पढ़ लें। उसके बाद जुमा का अज़ान होगा अज़ान के बाद इमाम खुतबा पढ़ेंगे।
नोट:- जुमा की नमाज सिर्फ जमात के साथ पढ़ी जाती है और जमात के लिए कम से कम ढाई लोगों का होना जरूरी है। मतलब दो आदमी और एक बच्चा हों तो जमात हो जाएगी या इससे ज्यादा कितने भी लोग हो सकते हैं।
जुमा की नमाज के लिए खुतबा:-
पहला खुतबा:-

अलहमदुलिल्लाही नहमदुहु व नसतईनुहु व नसतगफिरुहु व नऊजुबिल्लाही मिन शुरुरी अन फुसीना व मिन सय्यीआती आमालीना व अशहदु अल लाइलाहा इललल्लाहु वाहदहु ला शरिकालहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अबदुहु व रसुलुहु ० अम्मा बाद।
फआऊजु बिल्लाही मिनश्शैतानीररजीम बिस्मील्लाहीर रहेमान निररहीम० कुलहुवल्लाहु अहद अल्लाहुस्समद लम यलीद वलम युलद वलम यकुल्लहु कुफुवन अहद " सदाकल्लाहुल अज़िम"।
दूसरा खुतबा:-

अलहमदुलिल्लाही रब्बिल आलमीन वल आकीबतु लिलमुत्तीकीन अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद व बारीक व सल्लीम अल्लाहुम्मरफा अन्नल बलाआ वल वबाआ० रब्बना आतीना फिददुनिया हसनतौ व फिल आखीरती हसनतौ वकीना अज़ाबन्नार० इन्नल्लाहा या मुरु बिल अदली वल इहसानी व ईताई ज़िलकुरबा व यनहा अनिल फहशाही व मुनकरी व बगयी० यइजुकुम लअल्लकुम तज़क्करुन० वल्लाहु यालमु मा तसनऊन०
खुतबा के बाद जुमा की नमाज के लिए नियत करेंगे जुमा के नमाज़ की नियत:-
नियत मैंने की 2 रेकात फर्ज नमाज जुमा की वास्ते "अल्लाह त आला" के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ।
नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बांधेंगे,हाथ बांधने के बाद सना पढ़ेंगे।
"सुबहान कल्लाहुम्मा व बिहमदिका व तबारकस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक।"
उसके बाद "अउजुबिल्लाहे मिनष्शैतानिर्रजिम्" "बिस्मिल्लाहिर्रह्मानिर्रहीम" पढ़े।
इसके बाद सुरह फातिहा पढ़े:-
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन
अर रहमा निर रहीम
मालिकि यौमिद्दीन
इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम
सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम
गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)।
सुरः फातिहा के बाद कोई भी एक सुरह पढ़े। सुरह पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कहकर रुकु में जाएं। और पढ़ें:-"सुबहान रब्बी अल अज़ीम" (3 बार,5 बार या 7 बार)
इसके बाद "समीअल्लाहु लिमन हमीदा" कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये।
खड़े होने के बाद "रब्बना व लकल हम्द" जरुर कहें।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में चले जाएं।
सजदे में पढ़ें:-"सुबहान रब्बी अल आला"
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें। फिर सजदे मै वही तस्बीह पढ़ें:-"सुबहान रब्बी अल आला"
यहां तक आपकी एक रेकात नमाज मुकम्मल हो गई।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं दोबारा सुरह फातिहा और कोई सूरह पढ़ें और रुकु सजदा करें। इस बार दूसरे सजदे के बाद तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल के सिखाये हुवे अल्फाज़ यह है,
‘अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’।
इसके बाद दरूद पढ़े। दरूद के अल्फाज़ यह है,
‘अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’।
इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए।
आज के मुस्लिम नौजवानों के हालत देखते हुवे उन्हें यह दुआ नमाज़ के आखिर में पढनी चाहिए। ‘अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला.’
– जिसका मतलब है, ‘ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे.’
इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं।
‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप दाहिने और बाएं जानिब सलाम फेरें।
इसके बाद 33 बार सुबहान अल्लाह 33 बार अलहम्दुलिल्लाह 34 बार अल्लाहु अकबर और 3 बार लाइलाह इल्लल्लाहो मुहम्मदूर्ररसुलुल्लाह पढ़कर दुआ के लिए हाथ उठाएं।
और कोई दुआ पढ़ें:- "रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनतंव व फिल आखिरती हसनतंव व किना अजाबन्नार।"
इसके बाद आप जोहर की चार रेकात सुन्नत 2 रकात सुन्नत और 2 रकात नफिल नमाज पढ़ें।
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