अली वर्दी खां के शासन काल में बंगाल को भारत का स्वर्ग क्यों कहा जाता था?
हम जानते हैं मुगल बादशाहों में औरंगजेब आखरी सबसे शक्तिशाली सम्राट थे। इसीलिए अंग्रेजों ने औरंगजेब से युद्ध करना उचित न समझा इसलिए भिन्न भिन्न तरीकों से उनको अपने साथ मिलाने की कोशिश करते रहे लेकिन औरंगजेब के उसूलों के आगे उनकी एक न चलती थी। परिणामस्वरूप अंग्रेजों ने युद्ध की घोषणा कर दी और चाइल्ड का युद्ध, प्रथम आंग्ल भारतीय युद्ध शुरू हुआ। जिसमे औरंगजेब की सेना ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। औरंगजेब से बुरी तरह हारने के पश्चात उन्हे मुगल सेना की ताकत का एहसास हो चुका था।
इसके बावजूद भी औरंगजेब ने अंग्रेजों को माफ कर दिया और शांति हस्ताक्षर करके उन्हें टैक्स फ्री व्यापार की अनुमति दे दी। ऐसे व्यापार की छूट सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए दी गई थी। कंपनी के जो अफसर निजी तौर पर अपना व्यापार चलाते थे उन्हें यह छूट नहीं थी। लेकिन उन्होंने भी शुल्क चुकाने से इंकार कर दिया। इससे बंगाल में राजस्व वसूली बहुत कम हो गई। ऐसे में भला बंगाल के नवाब अली वर्दी खान विरोध क्यों नहीं करते?
उन्होंने अंग्रेजों के इस रवैए पर विरोध प्रकट किया और उनकी मनमानी नहीं चलने दी। अंग्रजी अफसरों को दिन पर दिन उनके सामने घुटने टेकने पड़े और दिनों दिन बंगाल का राजस्व बढ़ता चला गया तथा साथ ही बंगाल की स्थिति में काफी सुधार आया।।
अली वर्दी खान के समय अंग्रेजों का दबदबा कम हुआ था।
यही कारण है कि अली वर्दी खान के शासन काल में बंगाल को भारत का स्वर्ग कहा जाता था।
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